माँ दुर्गा की तीसरी शक्ति का नाम 'चन्द्रघंटा' है। नवरात्रि के तीसरे दिन इनकी पूजा-अर्चना की जाती है। इनका यह रूप अत्यधिक शान्ति और कल्याण प्रदान करने वाला है। इनके मस्तक पर एक घण्टे के आकार का अर्धचन्द्र विराजमान है, जिसके कारण इनका नाम चन्द्रघंटा पड़ा है।
।। देवी चंद्रघंटा जी की आरती ।।
जय मां चंद्रघंटा सुख धाम ।
पूर्ण कीजो मेरे काम ।।
चन्द्र समाज तू शीतल दाती ।
चन्द्र तेज किरणों में समाती ।।
मन की मालक मन भाती हो ।
चंद्रघंटा तुम वर दाती हो ।।
सुन्दर भाव को लाने वाली ।
हर संकट से बचाने वाली ।।
हर बुधवार को तुझे ध्याये ।
श्रद्धा सहित जो विनय सुनाये ।।
मूर्ति चन्द्र आकार बनाये ।
सन्मुख घी की ज्योत जलाये ।।
शीश झुका कहे मन की बाता ।
पूर्ण आस करो जगत दाता ।।
कांचीपुर स्थान तुम्हारा ।
कर्नाटक में मान तुम्हारा ।।
नाम तेरा रटू महारानी ।
भक्त की रक्षा करो भवानी ।।
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