आरती ओम जय जगदीश हरे

"श्री विष्णु भगवान की आरती" विष्णु भगवान, जिन्हें हम नारायण, हरि, वासुदेव, राम, अच्युत, अनंत, माधव, गोविंद, जगन्नाथ, विष्णु, पद्मनाभ, त्रिविक्रम,श्रीधर, वामन और कृष्ण के नाम से भी जानते हैं, वे हमारे जीवन में शांति, सुख और समृद्धि के प्रतीक हैं। उनकी आरती करने से हमें उनकी कृपा और आशीर्वाद प्राप्त होता है। आइए पढ़ते हैं ओम जय जगदीश हरे आरती लिखित में।
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आरती ओम जय जगदीश हरे लिखित में

ॐ जय जगदीश हरे स्वामी जय जगदीश हरे।
भक्त जनों के संकट क्षण में दूर करे ।। ॐ ।।

जो ध्यावे फल पावे दुःख विनसै मन का। प्रभु.।
सुख सम्पत्ति घर आवे कष्ट मिटे तन का ।। ॐ ।।

मात-पिता तुम मेरे शरण गहूं किसकी। प्रभु।
तुम बिन और न दूजा आस करूं जिसकी ।। ॐ ।।

तुम पूरण परमात्मा तुम अन्तर्यामी। प्रभुः ।
पारब्रह्म परमेश्वर तुम सबके स्वामी ।। ॐ ।।

तुम करूणा के सागर तुम पालन कर्ता। प्रभु.।
मैं मुरख खल कामी कृपा करऊ भरता ।। ॐ ।।

दीन बन्धु दुःख हर्ता तुम ठाकुर मेरे। प्रभु.।
करूणा हस्त बढ़ाओं द्वार पड़ा तेरे ।। ॐ ।।

विषय विकार मिटाओ पाप हरो देवा। प्रभु.।
श्रद्धा भक्ति बढ़ाओ सन्तन की सेवा ।। ॐ ।।

तन, मन, धन, सब कुछ है तेरा। प्रभु.।
तेरा तुझको अरपण, क्या लागे मेरा ।। ॐ ।।

श्री जगदीश स्वामी जी की आरती जो कोई नर गावें।
कहत शिवानन्द स्वामी मनवांछित फल पावें ।। ॐ ।

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