आरती स्कंदमाता की

माँ दुर्गाजी के पाँचवें रूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है, जो भगवान स्कन्द या कुमार कार्त्तिकेय की माता हैं। भगवान स्कन्द देवताओं के सेनापति थे और उन्होंने देवासुर संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई थी।

पुराणों में भगवान स्कन्द को कुमार और शक्तिधर के नाम से भी संबोधित किया गया है, जो उनकी महिमा और शक्ति को दर्शाता है। उनका वाहन मयूर है, जिसे मयूरवाहन के नाम से भी जाना जाता है।

माँ दुर्गाजी के इस पाँचवें स्वरूप को स्कन्दमाता के नाम से जाना जाता है, जो भगवान स्कन्द 'कुमार कार्तिकेय' की माता हैं और उनकी शक्ति और महिमा को दर्शाती हैं।

स्कंदमाता की आरती

जय तेरी हो स्कन्द माता ।
पांचवां नाम तुम्हारा आता ॥
सबके मन की जानन हारी ।
जग जननी सबकी महतारी ॥

तेरी जोत जलाता रहूं मैं।
हरदम तुझे ध्याता रहूं मै ॥
कई नामों से तुझे पुकारा ।
मुझे एक है तेरा सहारा ॥

कही पहाड़ों पर है डेरा।
कई शहरों में तेरा बसेरा ॥
हर मन्दिर में तेरे नजारे ।
गुण गाए तेरे भक्त प्यारे ॥

भक्ति अपनी मुझे दिला दो।
शक्ति मेरी बिगड़ी बना दो ॥
इन्द्र आदि देवता मिल सारे ।
करे पुकार तुम्हारे द्वारे ॥

दुष्ट दैत्य जब चढ़ कर आए।
तू ही खण्ड हाथ उठाए ॥
दासों को सदा बचाने आयी।
भक्त की आस पुजाने आयी ॥

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