कर चले हम फ़िदा जान-ओ-तन साथियों लिरिक्स
कर चले हम फ़िदा, जान-ओ-तन साथियों,
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों,
साँस थमती गई, नब्ज़ जमती गई,
फिर भी बढ़ते कदम को ना रुकने दिया,
कट गये सर हमारे तो कुछ ग़म नहीं,
सर हिमालय का हमने न झुकने दिया,
मरते-मरते रहा बाँकपन साथियों,
अब तुम्हारे हवाले वतन...
ज़िन्दा रहने के मौसम बहुत हैं मगर,
जान देने की रुत रोज़ आती नहीं,
हुस्न और इश्क दोनों को रुसवा करे,
वो जवानी जो खूँ में नहाती नहीं,
आज धरती बनी है दुल्हन साथियों,
अब तुम्हारे हवाले वतन...
राह कुर्बानियों की ना वीरान हो,
तुम सजाते ही रहना नये काफ़िले,
फ़तह का जश्न इस जश्न के बाद है,
ज़िन्दगी मौत से मिल रही है गले,
बाँध लो अपने सर से कफ़न साथियों,
अब तुम्हारे हवाले वतन...
खेंच दो अपने खूँ से जमीं पर लकीर,
इस तरफ आने पाये ना रावण कोई,
तोड़ दो हाथ अगर हाथ उठने लगे,
छूने पाये ना सीता का दामन कोई,
राम भी तुम तुम्हीं लक्ष्मण साथियों,
अब तुम्हारे हवाले वतन...
अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
गीत: अब तुम्हारे हवाले वतन साथियों
फिल्म: हकीकत (1964)
म्यूजिक: मदन मोहन
लिरिक्स: कैफ़ी आज़मी
गायक: मो. रफ़ी
लेबल: T-Series
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