सिद्धिदात्री माता की आरती

मां दुर्गा की नौवीं शक्ति सिद्धिदात्री है, जो सभी प्रकार की सिद्धियों को देने वाली है। वह चार भुजाओं वाली हैं और उनका वाहन सिंह है। वह कमल पुष्प पर भी आसीन होती हैं। सिद्धिदात्री के दाहिनी तरफ के नीचे वाले हाथ में चक्र, ऊपर वाले हाथ में गदा तथा बायीं तरफ के नीचे वाले हाथ में शंख और ऊपर वाले हाथ में कमल पुष्प है।

मार्कंडेय पुराण के अनुसार, आठ सिद्धियाँ हैं:

1. अणिमा 2. महिमा 3. गरिमा 4. लधिमा 5. प्राप्ति 6. प्राकाम्य 7. ईशित्व 8. वशित्व

ब्रह्म-वैवर्त्त पुराण के कृष्ण-जन्म खंड में, यह संख्या अठारह बताई गई है। उनके नाम इस प्रकार हैं:

1. अणिमा 2. लघिमा 3. प्राप्ति 4. प्राकाम्य 5. महिमा 6. ईशित्व 7. वशित्व 8. सर्वकामवासयिता 9. सर्वज्ञता 10. दूरश्रवण 11. परकायप्रवेशन 12. वाक्सिद्धि 13. कल्पवृक्षत्व 14. सृष्टि 15. संहारकरणसामर्थ्य 16. अमरत्व 17. मुख्य न्यायाधीश 18. भावना

माँ सिद्धिदात्री भक्तों और साधकों को ये सभी सिद्धियाँ प्रदान करने में समर्थ हैं। देवी पुराण के अनुसार भगवान शिव ने इनकी कृपा से ही इन सिद्धियों को प्राप्त किया था।

नवरात्र पूजन के नवें दिन माँ सिद्धिदात्री की उपासना की जाती है।

आरती सिद्धिदात्री माता की

जय सिद्धिदात्री माँ तू सिद्धि की दाता ।
तु भक्तों की रक्षक तू दासों की माता ॥
तेरा नाम लेते ही मिलती है सिद्धि ।
तेरे नाम से मन की होती है शुद्धि ॥

कठिन काम सिद्ध करती हो तुम ।
जभी हाथ सेवक के सिर धरती हो तुम ॥
तेरी पूजा में तो ना कोई विधि है।
तू जगदम्बें दाती तू सर्व सिद्धि है ॥

रविवार को तेरा सुमिरन करे जो ।
तेरी मूर्ति को ही मन में धरे जो ॥
तू सब काज उसके करती है पूरे।
कभी काम उसके रहे ना अधूरे ॥

तुम्हारी दया और तुम्हारी यह माया।
रखे जिसके सिर पर मैया अपनी छाया ॥
सर्व सिद्धि दाती वह है भाग्यशाली ।
जो है तेरे दर का ही अम्बें सवाली ॥

हिमाचल है पर्वत जहां वास तेरा ।
महा नंदा मंदिर में है वास तेरा ॥
मुझे आसरा है तुम्हारा ही माता ।
भक्ति है सवाली तू जिसकी दाता ॥

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