महाशिवरात्रि व्रत कथा | Maha Shivratri Vrat Katha in Simple Hindi

🕉️ महाशिवरात्रि व्रत कथा | Maha Shivratri Vrat Katha in Simple Hindi

महाशिवरात्रि भगवान शिव का एक प्रमुख पर्व है, जो फाल्गुन मास की कृष्ण पक्ष की चतुर्दशी को मनाया जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, रात्रि जागरण करते हैं और शिवलिंग पर जल, बेलपत्र, दूध आदि अर्पित करते हैं।

📖 व्रत कथा:

प्राचीन काल में चित्रभानु नामक एक शिकारी था, जो शिकार करके अपने परिवार का पालन-पोषण करता था। वह एक साहूकार का ऋणी था और समय पर कर्ज न चुका पाने के कारण उसे शिवमठ में बंदी बना लिया गया। संयोग से वह दिन महाशिवरात्रि का था

शिवमठ में रहते हुए चित्रभानु ने शिवरात्रि की कथा सुनी और उपवास में रहा। शाम को साहूकार ने उसे छोड़ दिया और वह शिकार की तलाश में जंगल चला गया। रात होने पर वह एक बेलवृक्ष पर चढ़ गया, जिसके नीचे एक शिवलिंग था। उसे इसका ज्ञान नहीं था।

वह भूखा-प्यासा था और बेलवृक्ष की टहनियाँ तोड़ते हुए शिवलिंग पर बेलपत्र गिरते रहे। इस प्रकार अनजाने में ही उसका शिव पूजन हो गया।

रात्रि के चारों प्रहरों में जब भी वह शिकार के लिए धनुष चढ़ाता, कुछ बेलपत्र शिवलिंग पर गिरते जाते। इस तरह उसका पूरे चार प्रहरों का पूजन भी पूर्ण हो गया।

अंततः भगवान शिव उसकी भक्ति से प्रसन्न हुए और उसे पापों से मुक्त कर दिया। चित्रभानु ने जीवन में हिंसा छोड़ दी और शिवभक्त बन गया।

🌼 व्रत का महत्व:

  • इस दिन उपवास और रात्रि जागरण करने से पापों का नाश होता है।
  • शिवलिंग पर बेलपत्र, जल, दूध अर्पित करने से मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
  • यह व्रत विशेष रूप से विवाह, संतान और सुख-शांति के लिए फलदायक माना जाता है।

🕯️ पूजन विधि संक्षेप में:

  1. प्रातः स्नान कर व्रत का संकल्प लें।
  2. शिवलिंग पर जल, दूध, बेलपत्र, धतूरा, भस्म अर्पित करें।
  3. “ॐ नमः शिवाय” मंत्र का जाप करें।
  4. रात्रि में चार प्रहरों में शिव पूजन करें।
  5. अगले दिन पारण करें (व्रत तोड़ें)।

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📜 Disclaimer: यह लेख केवल धार्मिक मान्यताओं, पुराणों एवं परंपराओं के आधार पर जानकारी देने हेतु लिखा गया है। इसका उद्देश्य किसी की भावनाओं को ठेस पहुँचाना नहीं है। इसमें दी गई व्रत कथा व विधि आम जनमान्यता पर आधारित है। पाठकों से अनुरोध है कि किसी विशेष रोग, उपाय या पूजा से पहले योग्य विद्वान या पंडित से परामर्श लें।

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