पी से मिलन को चली है राधे,
ब्रज वर्षानो गांव,
पी से मिलन की आस में कर लई,
खुब सिंगार बनाव,
जी चाहे उड़ के जाए मिले,
जन्हा पिया को ठाव,
पी की धुन में जाए रही तो,
कांटा पे पड़ गयो पांव,
ऐसा चुभा कांटा पांव में,
ऐसा चुभा कांटा पांव में हो...,
ओ कान्हा तेरे गांव में,
ऐसा चुभा कांटा पांव में हो...,
ओ कान्हा तेरे गांव में,
लाज के मारी मर मर जाऊं,
कैसे निकालू समझ न पाऊं,
कैसे निकालू समझ न पाऊं,
के ऐसा चुभा कांटा पांव में हो..,
ओ कान्हा तेरे गांव में,
ऐसा चुभा कांटा पांव में,
ऐसा चुभा कांटा पांव में हो...,
ओ कान्हा तेरे गांव में,
ओ रंग नशीला हुआ जाए,
गोरा गोरा रंग मोरा पीला हुआ जाए,
ओ रंग नशीला हुआ जाए,
गोरा गोरा रंग मोरा पीला हुआ जाए,
कैसे निकालू समझ न पाऊं,
मन की बतिया किस को सुनाऊं,
मन की बतिया किस को सुनाऊं,
ऐसा चुभा कांटा पांव में,
ऐसा चुभा कांटा पांव में हो...,
ओ कान्हा तेरे गांव में,
हो याद रहेगा तेरा प्यार,
तूने किया है मेरा जीना दुश्वार,
हो याद रहेगा तेरा प्यार,
तूने किया है मेरा जीना दुश्वार,
ऐसा लगता है जी न सकु में,
प्रेम का अमृत पी न सकु में,
प्रेम का अमृत पी न सकु में,
ऐसा चुभा कांटा पांव में,
ऐसा चुभा कांटा पांव में हो...,
ओ कान्हा तेरे गांव में,
हो तड़पत हूं मैं दिन रैन,
अंग अंग दुखे मेरा जिया है बैचेन,
हो तड़पत हूं मैं दिन रैन,
अंग अंग दुखे मेरा जिया है बैचेन,
पांव में कांटा जब से लगा है,
जीवन भर का रोग लगा है,
जीवन भर का रोग लगा है,
ऐसा चुभा कांटा पांव में,
ऐसा चुभा कांटा पांव में हो...,
ओ कान्हा तेरे गांव में,
मन में हुआ है मेरे घाव,
बिन माहूर मेरे रंग गाए पांव,
मन में हुआ है मेरे घाव,
बिन माहूर मेरे रंग गाए पांव,
मन ही मन में सोचूं सवारियां,
जान न ले कन्ही सारी नगरिया,
जान न ले कन्ही सारी नगरिया,
ऐसा चुभा कांटा पांव में,
ऐसा चुभा कांटा पांव में हो...,
ओ कान्हा तेरे गांव में,
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