सावन की रुत है आजा मां,
हम झूला तुझे झुलायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
सावन की रुत है आजा मां,
हम झूला तुझे झुलायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
कोई भेट करेगा चूड़ी,
कोई पहनाएगा चुनरी,
माथे पे लगाएगा मां,
कोई भक्त तिलक सिंदूरी,
कोई लिऐ खड़ा है पायल,
लाया है कोई कंगना,
जिन राहों से आयेगी,
मां तू भक्तों के अंगना,
हम पलके वहां बिछाएंगे,
सावन की रुत है आजा मां,
हम झूला तुझे झुलायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
मां अंबुआ की डाली पे,
झूला भक्तों ने सजाया,
चंदन की बिछाई चौकी,
श्रद्धा से तुझे बुलाया,
अब छोड़ आंख मिचौली,
आजा ओ मैया भोली,
हम तरस रहे है कब से,
सुनने को तेरी बोली,
कब तेरे दर्शन पायेंगे,
सावन की रुत है आजा मां,
हम झूला तुझे झुलायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
लाखों है रुप मां तेरे,
चाहें जिस रुप में आजा,
नैनों की प्यास भुझा जा,
बस एक झलक देखलाजा,
झूले पे तुझे बैठा के,
तुझे दिल का हाल सुनके,
फिर मेवे और मिश्री का,
तुझे प्रेम से भोग लगा के,
तेरे भवन पे छोड़ के आयेंगे,
सावन की रुत है आजा मां,
हम झूला तुझे झुलायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
फूलों से सजंगे तुझकों,
मेंहदी हाथों में लगायेंगे,
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