आरती कर लो भक्तों, शंकर भोले की,
शंकर भोले की, शंकर भोले की,
आरती कर लो भक्तों, शंकर भोले की,
कलश सोने का, चांदी की थाली,
ज्योत जलाऊ, शिव स्वामी की, ।२।
धूप दीप फल, दक्षिणा बेटा,
महिमा गाऊ शिव अंतर्यामी की, ।२।
आरती कर लो भक्तों शंकर भोले की,
सुंदर स्वरूप सोहे, मस्तक चंदा,
जटा विराजे गंगा शंकर भोले की, ।२।
गले में सर्प, अंग मृगशाला,
त्रिशूल डमरू साजे शंकर की, ।२।
आरती कर लो भक्तों, शंकर भोले की,
किया मंथन समुद्र देवों ने,
कंठ में विष भर लिया भोले ने, ।२।
नीलकंठ कहलाए थे तब से,
विष का प्याला पीया भोले ने, ।२।
आरती कर लो भक्तों, शंकर भोले की,
महादेव जी की जो करे आरती,
भव सागर तर जाते हैं वो,।२।
चरण कमल में, रहें न सुकोमल,
दया में हर फल पाते हैं वो, ।२।
आरती कर ली भक्तों, शंकर भोले की,
शंकर भोले की, शंकर भोले की,
आरती कर लो भक्तों, शंकर भोले की,
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