बृहस्पति देव जी देवताओं के गुरु है और इनकी पूजा गुरुवार के दिन, यानि की बृहस्पतिवार को की जाती है. मान्यता है कि गुरुवार के दिन, मतलब वीरवार के दिन बृहस्पति देव जी की पूजा करने से जीवन के सभी, और आने वाले सारे कष्ट दूर होते हैं एवं घर में सुख-शांति बनी रहती है. बृहस्पति देव को खुश रखने के लिए, गुरुवार के दिन बृहस्पति भगवान की पूजा व्रत कथा और आरती की जाती है। आईए पढ़ते है बृहस्पतिवार भगवान की आरती ।।
बृहस्पति भगवान की आरती
ॐ जय बृहस्पति देवा, स्वामी जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊं, छिन छिन भोग लगाऊं,
कदली फल मेवा ।। ॐ जय बृहस्पति देवा...।।
तुम पूर्ण परमात्मा, तुम अंतर्यामी, स्वामी तुम अंतर्यामी ।
जगत पिता जगदीश्वर, जगत पिता जगदीश्वर,
तुम सबके स्वामी ।। ॐ जय बृहस्पति देवा...।।
चरणामृत निज निर्मल, सब पातक हर्ता, स्वामी सब पातक हर्ता।
सकल मनोरथ दायक, सकल मनोरथ दायक, कृपा करो भर्ता ।।ॐ जय बृहस्पति देवा...।।
तन, मन, धन अर्पण कर, जो जन शरण पड़े, स्वामी जो जन शरण पड़े ।
प्रभु प्रकट तब होकर, प्रभु प्रकट तब होकर, आकर द्वार खड़े ।।ॐ जय बृहस्पति देवा...।।
दीन दयाल दयानिधि, भक्तन हितकारी, स्वामी भक्तन हितकारी ।
पाप दोष सब हर्ता, पाप दोष सब हर्ता,
भव बंधन हारी ।। ॐ जय बृहस्पति देवा...।।
सकल मनोरथ दायक, सब संशय तारो, स्वामी सब संशय तारो । विषय विकार मिटाओ, विषय विकार मिटाओ,
संतन सुख कारी ।। ॐ जय बृहस्पति देवा...।।
जो कोई आरती तेरी, प्रेम सहित गावे, स्वामी प्रेम सहित गावे । जेष्ठानंद बंद सो, जेष्ठानंद बंद सो,
सो निश्चय पावे ।। ॐ जय बृहस्पति देवा...।।
ॐ जय बृहस्पति देवा, स्वामी जय बृहस्पति देवा ।
छिन छिन भोग लगाऊं, छिन छिन भोग लगाऊं,
कदली फल मेवा ।। ॐ जय बृहस्पति देवा...।।
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