रामदेव जी की आरती लिखित में

"रामदेव जी की आरती" राजस्थान के प्रसिद्ध लोक देवता की महिमा!

रामदेव जी राजस्थान के एक प्रमुख लोक देवता हैं, जिनकी पूजा राजस्थान, गुजरात सहित कई भारतीय राज्यों में व्यापक रूप से की जाती है। उनकी आरती और भजन भक्तों के बीच बहुत लोकप्रिय हैं। आइए पढ़ते हैं बाबा राम देव जी की आरती लिखित रूप में।

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बाबा रामदेव जी की आरती

पिछम धरा सूं मारा पीर जी पधारिया,
घर अजमल अवतार लियो ।
लांछा सुगना बाई करे हर री आरती,
हरजी भाटी चंवर ढ़ोले ॥ टेर ॥

वीणा रे तंदूरो धणी रे नोपत बाजे,
झालर री झणकार पड़े ।
लांछा सुगना बाई करे हर री आरती,
हरजी भाटी चंवर ढ़ोले ॥ १ ॥
पिछम धरा सूं मारा पीर जी पधारिया...

घिरत मिठाई हरि के चढ़े रे चूरमा,
धूपो री महकार पड़े ।
लांछा सुगना बाई करे हर री आरती,
हरजी भाटी चंवर ढ़ोले ॥ २ ॥
पिछम धरा सूं मारा पीर जी पधारिया...॥

गंगा जुमना बहे रे सरस्वती,
रामदेव बाबो स्नान करे ।
लांछा सुगना बाई करे हर री आरती,
हरजी भाटी चंवर ढ़ोले ॥ ३ ॥
पिछम धरा सूं मारा पीर जी पधारिया...॥

दूरां रे देशा रा बाबा आवे थारे जात्री,
दरगा आगे बापजी ने नमन करे।
लांछा सुगना बाई करे हर री आरती,
हरजी भाटी चंवर ढ़ोले ॥ ४ ॥
पिछम धरा सूं मारा पीर जी पधारिया...॥

हरी शरणों में भाटी हरजी बोले,
नवों रे खंड़ो में निशान घुरे।
लांछा सुगना बाई करे हर री आरती,
हरजी भाटी चंवर ढ़ोले ॥ ५ ॥
पिछम धरा सूं मारा पीर जी पधारिया...॥

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