श्री शिवनंदन गणेश जी की आरती लिखित में

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श्री शिवनंदन गणेश जी की आरती

शिव नंदन दीन दयाल हो तुम,
गणराज तुम्हारी जय होवे ।
गणराज तुम्हारी जय होवे,
महाराज तुम्हारी जय होवे ।।
शिव नंदन दीन दयाल हो तुम...।।

सिरताज तुम्हारा सिर सोहे,
एक दन्त तुम्हारा मन मोहे ।
शुभ लाभ सभी के दाता हो तुम,
गणराज तुम्हारी जय होवे ।।
शिव नंदन दीन दयाल हो तुम...।।

हर डाल में तुम, हर पात में तुम,
हर मूल में तुम, हर फूल में तुम ।
संसार में बस एक सार हो तुम,
गणराज तुम्हारी जय होवे ।।
शिव नंदन दीन दयाल हो तुम...।।

ब्रह्मा बन कर्ता हो तुम ही,
विष्णु वन भर्ता हो तुम ही ।
शिव बन संहारक हो तुम ही,
गणराज तुम्हारी जय होवे ।।
शिव नंदन दीन दयाल हो तुम...।।

जय दया दृष्टि हो जाती है,
सूखी खेती हरियाती है ।
अब तुम्हीं दया के सागर हो,
गणराज तुम्हारी जय होवे ।।
शिव नंदन दीन दयाल हो तुम...।।

हम बालक हैं नादान अभी,
दे दो विद्या का ज्ञान सभी ।
इस जग के प्रथम आराध्य हो तुम,
गणराज तुम्हारी जय होवे ।।
शिव नंदन दीन दयाल हो तुम...।।

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