।।श्री गणेशाय नमः।।
गणेश भगवान की आरती: स्कन्दपुराण में ऐसा कहां गया है हमेशा हमें पूजा के अंत में आरती करनी चाहिए। क्योंकि पूजा में जो भी त्रुटि रह जाती है, आरती से उसकी पूर्ति हो जाती है।
श्री गणेश जी की आरती
जय गणेश जय गणेश, जय गणेश देवा।
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
एकदंत दयावन्त, चार भुजाधारी,
माथे सिंदूर सोहे, मूसे की सवारी॥
जय गणेश देवा ॥
पान चढ़े फूल चढ़े, और चढ़े मेवा,
लड्डुअन का भोग लगे, सन्त करें सेवा॥
जय गणेश देवा ॥
अंधन को आंख देत, कोढ़िन को काया,
बांझन को पुत्र देत, निर्धन को माया॥
जय गणेश देवा ॥
'सूर' श्याम शरण आए, सफल कीजे सेवा,
माता जाकी पार्वती, पिता महादेवा॥
जय गणेश देवा ॥
दीनन की लाज रखो, शंभु सुतकारी,
कामना को पूर्ण करो, जाऊं बलिहारी॥
जय गणेश देवा ॥
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