यह भजन नवरात्रि के आखिरी दिन — माँ दुर्गा के विसर्जन की भावुक विदाई को चित्रित करता है। नौ दिन तक चला पर्व, श्रद्धा, उल्लास, पूजा और उत्सव के बाद दशमी तिथि पर भक्तों का मन भारी हो जाता है। गीत में माँ के जाने से हुआ सूनापन, यादें, और भावनात्मक लगाव को बेहद मार्मिक तरीके से दर्शाया गया है।
🎶 नवरात्र नौ दिन माई दशम दिन विदाई भजन के बोल
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
विसर्जन माँ चली, विसर्जन माँ चली,
आंगन डगर घर सूना, अधिर भय नैना,
नीरस भई हर गली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
भूल न सकूगा अब मन की,
सजग सुनहानी, वो घड़ी,
मोह माया ममता से जुड़ी थी,
तेरे लगन की, हर कड़ी,
सपनों की वो डोर टूटी,
मां बेटे से रूठी,
मुरझाई मन की कली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
चौदह भवन की महारानी,
अतिथि आई खुशी लिए,
जल उठे शुभम् तेरे पथ में,
सती के सत के कई दिए,
गरबा डांडिया नाच गाना,
जगराते का तराना,
हर एक रैना भली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
रो रहा है रोम रोम मेरा,
मुझे न माता विसरना,
जाते जाते भव से तरना मां,
पुकारना मां, सवरना,
अर्पण करे तुझे वीरा,
श्रध्दा का जाघिरा,
ए मां भजना वली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
विसर्जन माँ चली, विसर्जन माँ चली,
आंगन डगर घर सूना, अधिर भय नैना,
नीरस भई हर गली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली
विसर्जन माँ चली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
विसर्जन माँ चली, विसर्जन माँ चली,
आंगन डगर घर सूना, अधिर भय नैना,
नीरस भई हर गली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
भूल न सकूगा अब मन की,
सजग सुनहानी, वो घड़ी,
मोह माया ममता से जुड़ी थी,
तेरे लगन की, हर कड़ी,
सपनों की वो डोर टूटी,
मां बेटे से रूठी,
मुरझाई मन की कली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
चौदह भवन की महारानी,
अतिथि आई खुशी लिए,
जल उठे शुभम् तेरे पथ में,
सती के सत के कई दिए,
गरबा डांडिया नाच गाना,
जगराते का तराना,
हर एक रैना भली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
रो रहा है रोम रोम मेरा,
मुझे न माता विसरना,
जाते जाते भव से तरना मां,
पुकारना मां, सवरना,
अर्पण करे तुझे वीरा,
श्रध्दा का जाघिरा,
ए मां भजना वली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली,
विसर्जन माँ चली, विसर्जन माँ चली,
आंगन डगर घर सूना, अधिर भय नैना,
नीरस भई हर गली,
नौ रात नौ दिन माई, दशम दिन विदाई,
विसर्जन माँ चली
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🕉️ भजन का भावार्थ
यह भजन माँ दुर्गा की नवरात्रि पूजा के समापन पर भक्तों के भावों को व्यक्त करता है। नौ दिन माँ के साथ बिताए पलों की स्मृतियाँ, उनके चरणों की छाया, और उनसे जुड़ी श्रद्धा — सब विसर्जन के क्षण में मन को उदास कर देती हैं। भजन हर भक्त की उस मनस्थिति को दर्शाता है जब माँ का जाना भी एक त्योहार की समाप्ति से अधिक, एक भावनात्मक विदाई बन जाती है।
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क्या आपने माँ के विसर्जन के समय ऐसे ही भाव महसूस किए? नीचे comment करें और भजन अपने साथियों से भी साझा करें!
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